लेखनी प्रतियोगिता -20-Feb-2023
ख्वाबों की नाव
प्रातः देखा उगता भोर!
चहल पहल थी चहूं ओर!
सामने था समुद्र -सा नभ,
देख चला मैं ख्वाबों की नाव में....
क्या क्या घटा साथ मेरे?
लो सुनो! अब बता रहा हूं।
होड़ है तुमसे ऐ व्योम!
संभल जरा, मैं आ रहा हूं।
आग धधक रही थी वहां!
अरुण का शयन पहर था जहां!
लालिमा दौड़ रही थी पीछे,
मानो स्वेद से तर चेहरा था!
ये लाल -पीला धूसर रंग,
आज उसी ने बिखेरा था!
सागर -से इस नभ में....
छोटे -छोटे द्वीप खड़े हैं!
जो कुछ छोटे, कुछ बड़े हैं!
संध्या पहर घिरी रजनी...
बसेरा करने इन द्वीपों पर,
मैं अपनी नाव बढ़ा रहा हूं।
होड़ है तुमसे ऐ व्योम!
संभल जरा, मैं आ रहा हूं।
नक्षत्र,पिंड टूटे डोले!
ब्लेक होल ॐ ॐ बोले!
आकाशगंगा चक्कर लगाने
कितने व्यूह रचाती है!
है मंदाकिनी अपनी सुंदर
मोती सा जगमगाती है!
सप्तर्षि तपस्या में लीन...
सदियों से एक बने हैं!
कुछ कम कुछ घने हैं!
ढली रात्रि उस पर्वत तक,
क्षितिज में गोते खा रहा हूं।
होड़ है तुमसे ऐ व्योम!
संभल जरा, मैं आ रहा हूं।।
रोहताश वर्मा 'मुसाफ़िर'
Gunjan Kamal
01-Mar-2023 08:47 AM
बहुत सुंदर
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Varsha_Upadhyay
21-Feb-2023 06:02 PM
Nice
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Rohtash Verma
23-Feb-2023 08:00 AM
तहेदिल से शुक्रिया मैम आपका 💐
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Abhinav ji
21-Feb-2023 07:42 AM
Very nice 👌
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Rohtash Verma
21-Feb-2023 08:18 AM
Thanks very much sir ji 💐
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